The Objectives

जय श्री शनिदेव चेरीटेबल ट्रस्ट को शुरू करने के कुछ मुख्य उद्देश्य है।

धार्मिक उद्देश्य

विशाल शनि मंदिर की स्थापना करना तथा धार्मिक क्रिया कलाप सम्पन्न करना व प्रसार करना।
शनि जयंती मनाना, प्रसाद वितरण तथा लंगर लगाना।
समय-समय पर रामचरित मानस, श्रीमद भागवत, सुन्दर काण्ड, शनि कथा या फिर अन्य कथाओ का आयोजन करना।
समय-समय पर सामूहिक काल सर्प योग निवारण, गायत्री मन्त्र जाप, महामृत्युजंय जप का आयोजन, रुद्राभिषेक व रूद्रिपाठ का आयोजन कराना।
समय-समय पर नवग्रहों का जप, यज्ञ, तर्पण, प्रसाद व लंगर का आयोजन करना।
श्रावण मास में शिवभक्तो व कावड़ियों की सेवा करना।
हनुमान जयंती पर सालासर जाने वाले पदयात्रियों एंव रामदेव मेला पर रुणीजा धाम जाने वाले पदयात्रियों की सेवा करना।
दुर्गाष्टमी, जन्माष्टमी, रामनवमी, नवरात्रा स्थापना, गणेश चतुर्थी, बसंत पंचमी या अन्य कोई धार्मिक आयोजन करना, प्रसाद वितरण करना तथा लंगर लगाना।


शैक्षिक उद्देश्य


प्राचीन विधाओ का प्रचार-प्रसार तथा जुटाना।
प्राचीन पाण्डुलिपियों व भारतीय संस्कृति, सभ्यता को दर्शानेवाली पुस्तके, वेद, पुराण, महाकाव्य, शास्त्र, उपनिषद आदि पुस्तको का संग्रह, सरंक्षण व प्रकाशित करना या करवाना।
समय-समय पर ज्योतिष, योग, वास्तु, ध्यान, वैदिक दर्शन से संबन्धित सम्मेलन व सेमिनार का आयोजन करना।
ज्योतिष शास्त्र व मंत्रो के अनुसंधान पर बल देना तथा देश में प्रचलित विभिन्न पंचागो पर अनुसंधान करके सर्वमान्य पंचाग तैयार करना।
ज्योतिष, कर्मकाण्ड, योग व संस्कृत भाषा के अच्छे विद्धान तैयार करना।
संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार करना।
समय-समय पर योग व ध्यान शिविरो का आयोजन करना।

अन्य उद्देश्य

किसी भी जीर्ण शीर्ण मंदिर को अनुदान या दान देना या किसी भी मंदिर का जीर्णाद्धार करना या करवाना।
गायों के रख-रखाव के लिए गौशाला का निर्माण व संचालन करना।
जीव दया की दृष्टि से मूक पशु, पक्षियों हेतु पानी की प्याऊ एंव बीमार होने की स्थिति में उनकी देखभाल एंव ईलाज की व्यवस्था करना।
विधि प्रक्रिया से प्राप्त लावारिश लाशो का हिंदू रीती-रिवाज से दाह-संस्कार करना या करवाने में मदद करना।
लावारिश बच्चों की पुर्नवास में मदद करना।
गरीब कन्याओं की शादी करवाना या करवाने में हर संभव मदद करना।
वृद्धाश्रम व अनाथालयों की सहायता करना या आवश्यक हो तो ट्रस्ट द्धारा स्वंय इनकी स्थापना कर संचालन करना।

इच्छानुसार ट्रस्ट में दान दे और दान की रसीद अवश्य प्राप्त करे।
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जय श्री गणेशाय नम :
पण्डित राकेश भार्गव का जन्म दुनिया को वैदिक ज्योतिष का ज्ञान देने वाले व ज्योतिष विधा के जनक भृगुसंहिता के रचयिता महर्षि भृगु के भृगुवंशी ब्राह्मण परिवार में 08 सितम्बर 1979 को ग्राम भोड़की जिला झुंझुनू (राज.) में हुआ। पंडित जी के परदादा बशेसर लाल जी भार्गव प्रसिद्ध ज्योतिषी थे। उन्हें वाक शक्ति हासिल थी।
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