Gemstone

हमारे संस्थान से सभी प्रकार के 100 फीसदी गारन्टीयुक्त लेब टेस्टेड (Lab Tested) रत्न व उपरत्न उपलब्ध कराये जाते है। रत्न व उपरत्नो को अभिमंत्रित भी किया जाता है।

 रत्न व उपरत्न को धारण करने की विधि  :- सभी प्रकार के राशि रत्न व उपरत्नो को जन्मपत्री, टेवा, हस्तरेखा, मस्तक रेखा, प्रश्नकुण्डली आदि देखने के बाद ही पहनना चाहिए। निर्धारित मन्त्रो के जप से अभियन्त्रित करने के बाद ही रत्न को अमृतसिद्ध योग, स्वार्थसिद्ध योग, सिद्धयोग, आनंदयोग या अभिजित मुहर्त में शुभ लाल अमृत के चौघड़िऐ में तथा पहनने वालो का 4, 8, 12 वां चन्द्रमा त्याग कर पहनना चाहिए। तथा राहुकाल को भी त्यागना चाहिए।
नोट : नीलम धारण करने में सावधानी व सतर्क रहना अति आवश्यक है।

 रत्न व उपरत्न कैसे कार्य करते है  :- सौरमण्डल से हर समय व हर पल कॉस्मिक ऊर्जा (Cosmic Energy) बरसती है, इस ऊर्जा को सामान्य आँखों से नहीं देखा जाता है। भौतिक विज्ञानिक इसे कुछ उपकरणों से जैसे कलीरीयन  कैमरे आदि से देख सखते है, तथा योगी व संत ध्यान (Meditation) द्धारा इस ऊर्जा का आभास करते है। यह ऊर्जा निरपेक्ष होती है, अर्थात यह ऊर्जा जिस किसी सजीव या निर्जीव पर पड़ती है तो उस सजीव व निर्जीव के गुण धर्म के आधार पर उसमे बायोलोजिकल व मेट्रोलॉजिकल परिवर्तन आते है। निश्चित मात्रा में जप, तप, तर्पण करने से रत्नो व उपरत्नों में प्राणतत्व (Vital Energy) आ जाती है। अत: कॉस्मिक ऊर्जा (Cosmic Energy) की ग्रहणता कई गुणा अधिक बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में उस रत्न व उपरत्न में पॉजिटिव मेट्रोलॉजिकल परिवर्तन आते है, तथा उस रत्न व उपरत्न में अपने गुणधर्म के आधार पर पॉजिटिव Vital Energy आ जाती है। इसे मेट्रोलॉजिकल Vital Energy भी कहते है।

व्यक्ति जन्मपत्री के अनुसार या टेवा, हाथ की रेखाएँ या मस्तिक रेखाओ आधार पर किसी ग्रह की मुलराशि, उच्चता या निदान के लिए रत्न व उपरत्न पहनते है।

जब रत्न पहनते है तो उसका नीचे का हिस्सा हमारे शरीर को छूता हुआ होना चाहिए जिससे हमारे शरीर में बायोलोजिकल परिवर्तन आते है। इससे हमारे शरीर में अन्त:स्रावी ग्रंथियों का स्राव नियमित होता है, तथा हमारा आभामंडल परिवर्तित होकर शुद्ध होता है। इससे हमारे में शारीरिक, मानसिक, भावात्मक व आध्यात्मिक परिवर्तन आता है।  सबसे बड़ा परिवर्तन आध्यात्मिक (आत्मा-परमात्मा) स्तर पर होता है, जिससे हमारे बिगड़े कार्य बनने शुरू  जाते है। तथा हमारा Good Luck शुरू हो जाता है।

   राशि           * रत्न व उपरत्न  *                                                       गुडलक की सामग्री       
 मेष  मूंगा                  
                          
 एकांक्षी नारियल 
 वृष हीरा-ओपल

 वास्तु पिरामिड 
मिथुन पन्ना 

 श्री धनलक्ष्मी कुबेर धनवर्षा कवच  
 कर्क मोती

श्वेतार्क गणपति 
सिंह माणिक्य

नवरत्न लॉकेट 
कन्या पन्ना 

रुद्राक्ष मालायें 
तुला हीरा-ओपल

स्फटिक मालायें 
वृश्चिक मूंगा 

कालसर्प नाशक कवच 
 धनु पुखराज   

स्फटिक श्रीयंत्र 
 मकर नीलम 
पारद लक्ष्मी 
कुंभ नीलम 
इच्छापूर्ति रुद्राक्ष कवच 
मीनपुखराज
काले घोड़े की नाल 

     राहु की शान्ति के लिए गोमेद व केतु की शान्ति के लिए लहसुनियाँ धारण करना चाहिए।
किडनी रोग के लिए दाना-ए-फिरंग व बवासीर के लिए मरीयम स्सा पत्थर धरण करना चाहिए। 

इच्छानुसार ट्रस्ट में दान दे और दान की रसीद अवश्य प्राप्त करे।

AriesTaurusGeminiCancer LeoVirgoLibraScorpioSagittariusCapricornAquarius Pisces

Follow Us On Facebook Contact UsAstrologer Rakesh Bhargav
जय श्री गणेशाय नम :
पण्डित राकेश भार्गव का जन्म दुनिया को वैदिक ज्योतिष का ज्ञान देने वाले व ज्योतिष विधा के जनक भृगुसंहिता के रचयिता महर्षि भृगु के भृगुवंशी ब्राह्मण परिवार में 08 सितम्बर 1979 को ग्राम भोड़की जिला झुंझुनू (राज.) में हुआ। पंडित जी के परदादा बशेसर लाल जी भार्गव प्रसिद्ध ज्योतिषी थे। उन्हें वाक शक्ति हासिल थी।
Read More